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Showing posts from June, 2013

परछाई मेरी

बड़ी अजीब है यह परछाई मेरी अकेला छोड़ देती है जब भी कर लेता हूँ हसीन आँखे बंद मेरी चलती है हर घडी हर वक़्त मेरे कुछ बोलू इसे तो सुनती है हर बात मेरी न करती है सवाल न माँगती कोई जवाब बस ऐसी ही ये भोली सी परछाई मेरी छोड़ कर चले जाये जब सब साथ मेरा तनहा नहीं रहने देती मुझको यह परछाई मेरी बड़ी अजीब है यह परछाई मेरी.... समझाऊ भी तो क्या इसको अब मैं समजती नहीं है कोई बात यह मासूम परछाई मेरी ख़बर तोह सब है इसको मेरी पर जाने क्यों चुप रहती है ये परछाई मेरी समझती तो सब है पर बस बोल नहीं पाती है यह बेजुबां परछाई मेरी आखिर दिल तो मेरा ही है इसके सीने में इसलिये तो बस खामोश सी रहती है ये परछाई मेरी...